पंचायती राज: अवधारणात्मक विवेचन

Authors

  • प्रो. सूर्यभान प्रसाद प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत। Author

Keywords:

पंचायती राज, लोकतंत्र, विकेन्द्रीकरण, स्वायत्तशासी, न्याय, राजनीतिक सत्ता

Abstract

लोकतंत्र मूलतः विकेन्द्रीकरण पर आधारित शासन व्यवस्था है। शासन की ऊपरी सतहों पर (केन्द्र तथा राज्य) कोई भी, तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि निचले स्तर पर लोकतांत्रिक मान्यताएँ एवं मूल्य शक्तिशाली न हो। लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में पंचायती राज ही वह माध्यम है, जो शासन को सामान्यजन के दरवाजे तक लाता है। लोकतंत्र के उन्नयन में पंचायती राज की विशेष भूमिका है। पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य भारत के विशाल ग्रामीण जन समूह को प्रजातंत्र की शिक्षा देने के साथ-साथ स्थानीय समस्याओं का स्थानीय पद्धति से समाधान कर ग्रामीण विकास करना है। 

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References

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Published

21-10-2024

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Research Articles

How to Cite

पंचायती राज: अवधारणात्मक विवेचन. (2024). International Journal of Scientific Research in Humanities and Social Sciences, 1(1), 16-21. https://ijsrhss.com/index.php/home/article/view/IJSRHSS24115

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